दोस्तों अब हमारे समाज में बेटा और बेटियों को एक जैसा अधिकार दिया जा रहा है। इसका उदाहरण मेरठ का एक परिवार है, जिसने बदलते समय के साथ बेटे और बेटियों में फर्क खत्म किया है। इस परिवार के मुखिया का निधन होने के बाद घर में सबसे बड़ी विवाहित बेटी को परिजनों के साथ मिलकर तीन भाइयों ने पगड़ी बांधकर घर का मुखिया बनाया है,तीनों भाइयों ने पिता की तेरहवीं पर अपनी बहन के सिर पर पगड़ी बांध कर उसे अपने परिवार का मुखिया बनाया। आमतौर पर माना जाता है कि विवाहिता होने पर बेटी का कुल और गोत्र अलग हो जाते हैं, लेकिन इस परिवार ने इन मान्यताओं को पीछे छोड़ते हुए विवाहित बेटी को ही घर का मुखिया बनाया है। उनका मानना है कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है।

तीनों भाइयों के साथ घर के बड़ों में मौजूद चाचा विजेंदर पाल सिंह, जितेंद्र सिंह, फूफा निरंजन शास्त्री, ऋषिपाल मलिक, पूर्व राज्य मंत्री ओमबीर तोमर, रामपाल मांडी, जयविन्दर रावत, रणधीर शास्त्री व एस०के० शर्मा, अंकुश चौधरी ने पगड़ी बांधी। यह परिवार पुरानी परंपराओं से आगे बढ़कर नई इबारत लिख रही है। पिता की मौत के बाद घर की सबसे बड़ी बहन ने पिता का अंतिम संस्कार किया। उसके बाद उनके भाईयों और परिवार के बुजुर्गों ने रस्म पगड़ी में इस शादीशुदा बेटी को परिवार का मुखिया घोषित किया। बड़ी बहन का नाम उर्वशी चौधरी है। 39 साल की उर्वशी मेरठ की एडवोकेट और एक समाजसेवी हैं, उनके तीन छोटे भाई विकास,वरुण और विवेक हैं और उनकी एक छोटी बहन ऐश्वर्या है।

बीती 7 सितंबर को उर्वशी के पिता हरेंद्र सिंह का 74 साल की उम्र में एक बीमारी से निधन हो गया। हरेंद्र सिंह प्राइवेट टीचर होने के साथ ही किसान भी थे। हरेंद्र को अपनी बड़ी बेटी उर्वशी से काफी लगाव था। वह हर बात में उनका ही राय मशवरा लिया करते थे। उर्वशी की शादी 19 साल पहले मेरठ में प्रॉपर्टी का काम करने वाले अजय चौधरी हो चुकी है। शादी के बाद उर्वशी के पति अजय चौधरी ने उन्हें आगे पढ़ने का मौका दिया, जिससे वह M.A. B.Ed एलएलएम कर वकील की प्रैक्टिस करने लगी। हरेंद्र सिंह के निधन के बाद उर्वशी के तीनो भाई बहन और मां राधा ने मिलकर उर्वशी को घर का मुखिया चुना है। पिता हरेंद्र भी यही चाहते थे कि उनके बाद घर की मुखिया उर्वशी ही बने।

उर्वशी जिस क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं, वहां पगड़ी पहनने का मतलब घर का मुखिया बनना होता है और मुखिया को पूरे परिवार और खानदान को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी होती है। इसे सम्मान और उत्तरदायित्व का प्रतीक माना जाता है। अब तक यहां केवल पुरुषों को ही मुखिया बनाया जाता था, लेकिन यह पहली बार हुआ है जब एक विवाहिता बेटी को पगड़ी पहना कर घर का मुखिया बनाया गया है। उर्वशी चौधरी कहती हैं कि पिता की इच्छा और भाइयों के सहयोग से वह परिवार की मुखिया बनी हैं। हालांकि मुखिया बनने के बाद जिम्मेदारी बढ़ गई है। उर्वशी पर ना केवल अपने मायके की बल्कि अपने ससुराल की भी जिम्मेदारी है क्योंकि वह अपने ससुराल की बड़ी बहू हैं।

उर्वशी के अनुसार उनके परिवार मे बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं किया जाता। उनके पिता हमेशा बेटियों की पढ़ाई लिखाई पर जोर देते थे और शादी के बाद उर्वशी के पति ने भी उनका साथ दिया। घर की मुखिया बने के फैसले में भी उनके पति और ससुराल वालों ने उनका पूरा साथ दिया है। उर्वशी कहती हैं कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाने की पूरी कोशिश करेंगी।