लालटेन की रोशनी में पढ़कर ट्रक ड्राइवर का बेटा बना IAS, पहले हो चुका है RAS में चयन…

दोस्तों सुपर थर्टी फिल्म का डायलॉग “राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा जो हकदार है वही राजा पवन” को पवन कुमार कुमावत ने चरितार्थ कर दिया है। पवन कुमार के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। पवन ने सीमित सुविधाओं के साथ अपनी मेहनत और लगन से यूपीएससी परीक्षा में शानदार प्रदर्शन के साथ रैंक हासिल किया है। पवन कुमार बाड़मेर जिला उद्योग केंद्र में निदेशक पद पर पदस्थ हैं। आरएएस अधिकारी पवन कुमावत आईएएस 2021 ऑल इंडिया रैंक 551 प्राप्त की। इन्होंने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया है कि यदि मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो आर्थिक समस्याएं एक बार के लिए आपको कुछ करने से नहीं रोक पाती है।

पवन ने शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पास की, जिसके बाद वह अपने पिता के साथ नागौर आ गया। वहीं के सेंट्रल स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा। उन्होंने बताया कि 2018 में चयन आरएसएस में 308वीं रैंक पर हुआ था। इससे पहले उन्होंने दो बार आईएएस के लिए इंटरव्यू दिया, लेकिन सफल नहीं हो सके। तीसरे प्रयास में सेलेक्शन हो गया।

उन्होंने बताया कि पिता ट्रक ड्राइवर हैं, उन्होंने संघर्ष और कठिन परिस्थितियों में मेरा साथ दिया और पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बनाया, तभी मुझे देश की प्रतिष्ठित परीक्षा में पहुंचने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में गोविंद जायसवाल का हुआ, जिनके पिता रिक्शा चालक थे, इसलिए मैंने आईएएस बनने की ठान ली थी।

पवन ने बताया कि घर में बिजली नहीं होने पर लालटेन व चिमनी के माध्यम से उसने पढ़ाई जारी रखा. वो अपने लक्ष्य से भटके बिना रात-दिन मेहनत करते रहे. पवन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है. पवन ने बताया कि बचपन में दादी उसे धार्मिक कहानियों सुनाती थीं.

ध्रुव तारे की कहानी सुनाने पर जीवन में कुछ करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई. दादी ने उसे कड़ी मेहनत का मूल मंत्र दिया तभी से उसने जीवन में सफल होने का मन बना लिया था.पवन ने युवाओं को अपने संदेश में कहा कि आज नशे का दौर ज्यादा है, युवा पीढ़ी को इससे हर हाल में बचना चाहिए क्योंकि नशा करने से युवा का करियर ही नहीं, बल्कि उनके माता-पिता का भविष्य भी खराब होता है.

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