बंदरों से खेत बचाने के लिए बुजुर्ग ने निकाला ऐसा उपाय जिसकी मुरीद हुआ पूरा गाँव, दे डाली कीवी मैन कि उपाधि

दोस्तों किसान पूरे साल हाडतोड़ मेहनत करता है लेकिन फसल तैयार होते ही बंदर या दूसरे आवारा जानवर उसकी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. किसानों की पूरे साल की मेहनत पर पानी फिर जाता है. बंदरों के आंतक से हिमाचल के किसान-बागवान बहुत तंग है और इनके आंतक के चलते हजारों किसान खेती-बागवानी छोड़ चुके हैं. फसल सुरक्षा किसानों के लिए चिंता का बड़ा विषय है और इसका विकल्प बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने औषधीय गुणों से भरपूर कीवी फ्रूट की खेती के रूप में दिया है. आज से 35 वर्ष पहले देश में पहली बार नौणी विश्वविद्यालय में कीवी का बाग प्रयोग के तौर पर लगाया गया था और आज कीवी की खेती नौणी विश्वविद्यालय की शोधशाला से निकलकर हिमाचल प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में पहुंच चुकी है. कीवी कैसे फसल सुरक्षा और कम लागत में अधिक आय देने वाली खेती है, चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

इस फल की खासियतों को तो आपने जान लिया. आइए अब जानते हैं यह फल किस तरह किसान-बागवान हितैषी है. इस फल को भारत में पहली बार लगाने वाले नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने गुड न्यूज टुडे से विशेष बातचीत में बताया कि हमारे विश्वविद्यालय में 1985 में यह फल लगाया गया और इसे अच्छी तरह उगाने और इसे मार्केट करने में हमें 7 साल का समय लगा. प्रोफेसर चंदेल बताते हैं कि यह फल 1000 से 1500 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर इस फल की विशेषता यह है कि इस फल में रोंएदार बाल होने के कारण इसे न ही तो बंदर खाते हैं और न ही अन्य जानवर इसे खाना पसंद करते हैं.

प्रोफेसर चंदेल ने बताया कि हम भारतीयों को फलों में ज्यादातर मिठे स्वाद वाले फल खाने की आदत है. लेकिन समय के साथ यह आदत बदल रही है और अब हम लोग धीरे-धीरे सेहत के लिए बेहद लाभदायक कीवी जैसे थोड़े खट्टे फलों को भी पसंद करने लग गए हैं. इसलिए कीवी फल फसल सुरक्षा के हिसाब से तो बेहतर है ही बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है.

उन्होंने बताया कि इस फल में बीमारियां न के बराबर होती हैं और इसमें बाहरी इनपुट भी बहुत कम प्रयोग होते हैं, जिससे इसकी लागत बहुत कम होती है और बाजार में यह 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक जाता है.

नौणी विश्वविद्यालय के फल विभाग के वैज्ञानिक डॉ नवीन शर्मा ने बताया कि कीवी फल को उगाने की विधि अभी तक प्रदेश और देश के हजारों किसानों और संस्थाओं के साथ साझा की गई है. हम हिमाचल के किसानों के साथ नॉर्थ ईस्ट में कीवी के पौधे दे रहे हैं. जिससे यह फल बड़ी तेजी से किसानों के बीच ख्याति पा रहा है. उन्होंने बताया कि इस फल में लागत बहुत कम है और किसानों को अपनी फसलों को डाइवर्सिफाई करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इस फल में एक बार पक्का स्ट्रक्चर लगाने के बाद तीसरे से चौथे साल में अच्छी आमदनी होना शुरू हो जाती है.

तीन साल पहले सिरमौर में कीवी का बाग लगाने वाले संदीप शर्मा ने बताया कि हमारे क्षेत्र में बंदरों की समस्या थी इसलिए उन्होंने प्रयोग के तौर पर 184 कीवी के पौधे लगाए थे. मेरा प्रयोग सफल रहा और मुझे बंदरों की समस्या से निजात मिल गई है. उन्होंने बताया कि पिछले साल मुझे बिना लागत के 48 हजार रुपये की कमाई हुई थी जो इस साल 1 लाख तक पहुंच जाएगी. मेरा मानना है कि अन्य किसानों को भी कीवी की खेती की ओर रूख करना चाहिए इससे उन्हें फसल सुरक्षा की चिंता से तो छुटकारा मिलेगा साथ ही कृषि में बढ़ती लागत से भी छूटकारा मिल जाएगा.

Leave a Comment