इस महिला IFS अफसर का 15 की उम्र में खराब हो गया था फेफड़ा, अब प्रदूषण के खिलाफ कर रहीं काम

दोस्तों सिर्फ 15 साल की उम्र में प्रदूषण के कारण एक फेफड़ा खराब हो गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. आईएफएस परीक्षा पास कर आज डीएफओ पद पर रहकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने में जुटी हैं. संघर्ष की यह कहानी है चूरू में कार्यरत डीएफओ सविता दहिया की.दिल्ली में रहने के दौरान प्रदूषण के कारण वे बीमार हो गई थीं, काफी उपचार के बाद भी एक फेफड़ा खराब हो गया. प्रदूषण जनित बीमारियों से डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 30 लाख लोग साल में मरते हैं. यह आंकड़ा कम होने के बजाए साल दर साल बढ़ता जा रहा है.डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि उनका मकान दिल्ली व हरियाणा के बॉर्डर पर था. महज 15 साल की उम्र में प्रदूषण के कारण उनका फेफड़ा पूरी तरह से खराब हो गया. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी व परिजनों ने भी लगातार पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.

पिता की ड्यूटी दिल्ली में होने के कारण वहीं आकर रहना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि उनके गांव में लड़कियों के लिए टीचर बनने से ज्यादा कभी बात नहीं होती थी सबसे बड़ी उपलब्धि उनके लिए वही मानी जाती थी. उन्होंने बताया कि आईआईटी में एडमिशन हुआ, एमटेक करने के लिए और फिर वहां से विदेश में जॉब लग गई. लेकिन पिताजी ने विदेश भेजने से मना कर दिया. फिर दूसरी कंपनी आईओसीएल में सलेक्शन हुआ व दिल्ली में ही उस कंपनी के कॉरपोरेट ऑफिस में नौकरी की.डीएफओ दहिया ने बताया कि दिल्ली में बहुत यात्रा करनी पड़ती थी, प्रतिदिन एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता था. भीड़ व प्रदूषण में सफर करने से स्वभाव भी कुछ चिड़चिड़ा हो गया था.

डीएफओ दहिया ने बताया कि प्रदूषण के कारण हुई बीमारी के बाद मन में इच्छा थी कि पर्यावरण सुधार के लिए कुछ किया जाए, जिससे लोग जागरुक हों. इसके लिए देश की सबसे बेहतर सेवा चुनने का संकल्प लेकर तैयारियां शुरू की. ऑफिस में अन्य लोगों को तैयारी करते देखकर वीकेंड पर पढ़ाई शुरू की. पहले प्रयास में आईएएस और आईएफएस के रिटर्न एग्जाम क्लियर हो गए तथा दोनों का इंटरव्यू दिया. दहिया ने आईएफएस की सर्विस को चुना.

उन्होंने बताया कि राजस्थान में आकर खुलापन और शांत वातावरण का अनुभव किया तो लगा कि कितना भी पैसा हो आदमी अच्छा वातावरण नहीं खरीद सकता. मेरा प्रयास ही रहता है कि वन विभाग की भूमि को बचाया जाए तथा उस पर अधिक से अधिक अच्छी क्वालिटी के पेड़ लगाए जाएं ताकि ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा आमजन को मिलती रहे. वन विभाग एक ऐसा डिपार्टमेंट है जिसकी उपलब्धि तथा जनता को दी जाने वाली सेवाओं का तुरंत नाप जोड़ नहीं हो सकता. प्रकृति रक्षति रक्षिता के सिद्धांत पर चलते हुए कि अगर आप प्रकृति की रक्षा करते हैं तो वह भी आपकी रक्षा करेगी और मनोयोग से अपना कार्य करते हुए वन विभाग के माध्यम से प्रयास करती रही हूं कि हमारा आसपास का वातावरण स्वच्छ रहे निरोग रहे तथा प्रकृति से मिलने वाले फायदे जो मैंने अनुभव किए हैं बाकी लोग भी अनुभव करें.

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