कहानी उस इकलौती बेटी आरती डोगरा की, जिसे मां-बाप के लिए बोझ समझते थे लोग, वो बनीं आईएएस

दोस्तों इंसान की काबिलियत की पहचान उसके रंग,रूप,धर्म, जाति, कद, काठी नही होती है। इंसान की काबिलियत की पहचान उसके द्वारा हासिल की गई योग्यता और समाज में उसके द्वारा किये गए कार्यों से होती है। बहुत सारे लोग अपने रंग-रूप, गोरेपन,कालेपन और कद काठी को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। उनको लगता है की अच्छी बॉडी होना और गोरापन होना बहुत जरूरी है। तभी वह समाज में कुछ कर सकते हैं। वो एक तरह से खुद से नफरत करने लगते हैं। ऐसे लोगों को आईएएस आरती डोगरा से सीख लेना चाहिए।

आरती डोगरा का कद तो छोटा है पर हौसले बहुत बुलंद हैं। इन्होंने आईएएस ऑफिसर बनकर ये बता दिया कि कद छोटा होने से कुछ ही होता है। आपका हौसला बड़ा होना चाहिये। इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज इन्हें पूरे देश मे एक रियल लाइफ हीरो माना जाता है। जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए, वो सब हासिल किया जो वो करना चाहती थी.आरती का जन्म उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसे शहर देहरादून में हुआ था। इनका संबंध एक पढ़े-लिखे शिक्षित परिवार से है। इनके पिता राजेंद्र डोगरा भारतीय सेना में कर्नल हैं। इनकी माता कुमकुम डोगरा एक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं।

इनके जन्म के समय ही डॉक्टरों ने इनके माता-पिता को बता दिया था कि आरती के शरीर का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाएगा। फिर भी उनके माता-पिता ने निर्णय लिया कि हम अब दूसरी संतान को जन्म नहीं देंगें। हम आरती का ही पूरे मन से देखभाल करेंगे। अच्छी परवरिश करेंगे और अच्छी शिक्षा देंगे। आरती की शुरुआती शिक्षा देहरादून के एक नामी इंग्लिश मीडियम विद्यालय ‘वेल्हम गर्ल्स’ स्कूल से हुई। आरती का शारारिक विकास पूर्णतयः नहीं हुआ। पर मानसिक विकास पूरी तरह हो गया था। आरती बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज थी। 12वीं पास करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ‘लेडी श्रीराम गर्ल्स कॉलेज’ से अर्थशास्त्र में स्नातक कंप्लीट किया और आईएएस की तैयारी में जुट गई।

अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद इन्होंने अपने आप को आईएएस की तैयारी में झोंक दिया। दिन-रात पढ़ाई में जुट गई। सबसे पहले इन्होंने प्री की तैयारी की और फिर मेन्स पर फोकस किया। पूरी स्ट्रेटजी के साथ तैयारी में जुटी रही। इनकी मेहनत का ही फल था कि पहले ही प्रयास में इनका सलेक्शन हो गया। इनकी सफलता ने पूरे घर वालों को गौरवान्वित किया।

आरती डोगरा की पोस्टिंग बीकानेर में हुई तो इन्होंने ‘बंको बिकाड़ो स्वच्छता अभियान’ चलाया। इसके तहत उन्होंने गांव-गांव दौरा कर लोगों को जागरूक किया। बाहर या खुले में शौंच न करने की सलाह दी। उनके इस अभियान को पीएम मोदी ने भी सराहा था। इन्होंने इस अभियान में करीब 195 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित किया। इनका ये स्वच्छता अभियान काफी सफल रहा। इनके इस अभियान की नकल कई जिलों ने भी की। आरती के इस अभियान के बाद आरती देश में काफी चर्चित हो गई थीं.

आरती अरोड़ा की हाइट और शारीरिक गठन इतनी अच्छी नहीं थी। जितनी एक आम भारतीय की होती है। फिर भी इन्होंने इसे कभी नेगेटिव-वे में नहीं लिया। वो हमेशा मोटिवेट रहती थी। घर वाले भी इनको काफी प्रोत्साहित करते रहते थे। इनकी शारीरिक गठन और कम हाइट का लोग मजाक उड़ाते थे। फिर भी वो उन बातों को इग्नोर कर देती थी। लेकिन वह ऐसे लोगों को सबक भी सिखाना चाहती थी जो हर किसी का भी मजाक उड़ाते थे।

ऐसी संकीर्ण मानसिकता का जवाब वह अपने अपनी सफलता या अपने कार्यों से देना चाहती चाहती थी। उन्होंने आईएएस में सफल होकर उन लोगों को जवाब दे दिया। आरती ने समाज को यह भी संदेश कर दिया की। आपकी हाइट या आपकी शारीरिक गठन इतनी मायने व्यक्ति जितनी आपकी बौद्धिक क्षमता और यह आपकी कार्य शक्ति मायने रखती है। आज आरती बहुत सी महिलाओं और उन युवा छात्रों के लिए लिए प्रेरणा है। उन युवा पीढ़ियों के लिए भी आदर्श हैं जो थोड़ी-थोड़ी थी परेशानी में हार मान लेती है।

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