कोटा में पढ़ना चाहती थी सरकारी नौकरी भी छोड़ी अब 30 साल बाद बेटी को डॉक्टर बेटे को इंजीनियर बनाया.

अधिकतर लोगों के सपने महत्वाकांक्षा उनके जीवन का नजरिया बदल देते हैं कुछ बनने की चाहत कुछ पाने की चाहत उनको बहुत कुछ कहने पर मजबूर भी कर देता है और अक्सर उनकी यही मेहनत और लगन कामयाब भी होती है और माधवी नाम की एक महिला ने कोटा में पिछले 7 सालों में रहकर बेटी और बेटी का करियर बनाने के लिए रात दिन एक कर दिए कोटा एक ऐसी डेस्टिनेशन जगह है जहां आकर हर कोई अपना करियर बनाना चाहता है काफी सारे पेरेंट्स ने कोटा में रहकर अपने बच्चों का कैरियर बनाया ऐसे ही पेरेंट्स में शामिल है माधवी माधवी के बारे में आपको बता दें माधवी शिंदे महाराष्ट्र की निवासी है और पिछले 7 सालों से कोटा में रह रही है जिनके कठिन परिश्रम साहस से बेटी का सिलेक्शन नीट में हुआ,

वही बेटे का इंजीनियरिंग में वर्तमान में मेडिकल कॉलेज चंद्रपुर से एमबीबीएस कर रही है वही बेटे धन्यइश जेईई मेन 2023 जनवरी सेशन के परिणाम में 100 परसेंटाइल स्कोर क्या है और माधुरी के लिए यह बेहद खुशी का परिणाम है क्योंकि माधवी भी साइंस के स्टूडेंट थी और कोटा आकर पढ़ना उनका 30 साल पुराना सपना था और सब बेटे का जेईई मेन में हंड्रेड परसेंटाइल आया तो माधवी ने अपने बारे में बताया कि उनका 30 साल पुराना सपना आँखों के सामने आ गया
वह भी कोटा में पढ़ना चाहती थी मगर पारिवारिक परिस्थितियों के कारण यह संभव न हो सका मगर माधवी ने अपने बेटे बेटी को कोटा में पढ़ा कर एक बहुत बड़ी सफलता अर्जित की माधवी बताती है कि वे छत्तीसगढ़ के निवासी हैं,

माधवी ने बताया कि जब वे पढ़ा करती थी तो छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का ही एक भाग था पापा का बचपन में ही गुज़र गए थे वही मां सरकारी स्कूल में टीचर थी मगर इससे गुजारा पूरा नहीं चलता था हम दो भाई बहन थे ओर मे साइंस बायोलॉजी पढ़ रही थी डॉक्टर बनने के लिए और मेडिकल एग्जाम की तैयारी के लिए कोटा सबसे प्रसिद्ध था मैं भी कोटा आकर अपनी डॉक्टरी पढ़ना चाहती थी मगर मां की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से मैं कोटा आ कर नहीं पढ़ सकी,


तब मैंने वहीं रहकर मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी की आयुर्वेदिक कॉलेज के लिए मेरा सिलेक्शन भी हो गया था मगर मुझे एम बी बी एस करना था तो मैंने आयुर्वेदिक छोड़कर बीएससी एमएससी किया माधवी बताती है कि नीट की तैयारी भारत के किसी अच्छे इंस्टिट्यूट से हो और कोटा इसके लिए सबसे अधिक अच्छी जगह थी तभी मैं अपने बेटे बेटी को लेकर कोटा में आ गई अपने कठिन परिश्रम और काफी सारी चुनौतियों का सामना करते हुए माधुरी ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया और दोनों बच्चों को कोटा में पड़वाया.

Leave a Comment