राजस्थान में शिमला मिर्च की खेती करने पर सरकार दे रही है सब्सिडी, किसान उठाएं लाभ.

सब्जियों की खेती के लिए अलग-अलग राज्य सरकारें अपने नियमानुसार सब्सिडी लाभ प्रदान करती हैं। इससें शिमला मिर्च की खेती के लिए भी अनुदान का लाभ किसानों को दिया जाता है। बता करें उत्तरप्रदेश की तो यहां सरकार किसानों को शिमला मिर्च की खेती करने के लिए 70 प्रतिशत तक अनुदान देती है। इसके तहत डेढ़ हैक्टेयर में शिमला मिर्च की खेती करने पर किसानों को करीब 37500 रुपए का अनुदान दिया जाता है। हरदोई के किसान सरकारी सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर शिमला मिर्च की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

इधर बिहार में शिमला मिर्च की खेती के लिए किसानों को 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। यहां के किसानों को सरकार की ओर से 2,000 वर्ग मीटर में शेड नेट तैयार करने के लिए 75 प्रतिशत का अनुदान दे रही है। 2,000 वर्ग मीटर के शेड नेट तैयार करने में 25 लाख रुपए का खर्च आता है इसमें राज्य सरकार किसानों को 18.75 लाख रुपए की सब्सिडी देती है। उपज बढाने मे मध्यप्रदेश मे अभी काफी गुजाईश हैं। इसके लिए खेत की तैयारी, उन्नत संकर बीज का उपयोग, बीज उपचार, समय पर बुवाई, निर्धारित पौध संख्या, कीट और बीमारी का नियन्त्रण, निर्धारित मात्रा मे उर्वरको का उपयोग और समयपर सिंचाई आदि उपज बढाने मे विशेष भूमिका अदा करते है।

टमाटर एवं शिमला मिर्च की खेती देशवासियो को भोजन तथा खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के अलावा रोजगार सजृन तथा विदेशी मुद्रा का भी अर्जन कराती है। अलवर जिले के किसानों ने शिमला मिर्च की खेती करना शुरू कर दी है।
अलवर जिले के रामगढ़, उमरैण व बानसूर के कुछ क्षेत्रों में शिमला मिर्च की खेती किसान कर रहे हैं। इससे किसानों को लाभ भी हो रहा है हालांकि शिमला मिर्च की खेती ठंडे प्रदेशों में की जाती है।

सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य है जहां शिमला मिर्च की खेती 12 महीने की जाती है। शिमला मिर्च की खेती को 2 तरह किया जाता है। कुछ किसान पॉलीहाउस बनाकर शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। किसान खेतों में शिमला मिर्च की फसल ग्रीन हाउस में कर रहे है।उद्यान विभाग का कहना है कि शिमला मिर्च तीन रंग की होती है, जिसमें हरा, पीला व लाल रंग मुख्य है। शिमला मिर्च की खेती के लिए 20 से 25 डिग्री टेंपरेचर पर बीजों को अंकुरित करने की सलाह दी जाती है।

इसकी फसल को बढ़ने के लिए 18 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। जिससे फसल अच्छी होती है। जिसमें अरका मोहिनी, अरका गौरव, कैलिफोर्निया वंडर, अरका बसंत प्रचलित वैरायटी है। कृषि अधिकारी ने बताया कि इसके लिए उठी हुई नर्सरी तैयार की जाती है।एक हेक्टेयर मे करीब ढाई सौ से 300 ग्राम बीजों की आवश्यकता होती है। बीजों में करीब 15-15 सेंटीमीटर का गैप दिया जाता है इसके बीज को आधा सेंटीमीटर जमीन के अंदर दबाकर रखा जाता है।

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