केरल का अनूठा त्योहार चमायाविलक्कू महोत्सव , जिसमें पुरुष महिलाओं की तरह करते है सोलह श्रंगार : देखे Photos

दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारे भारतवर्ष में सबसे ज्यादा त्योहार मनाए जाते हैं क्योंकि हमारे भारत में अलग-अलग धर्म और जाति के लोग रहते हैं जो कि अपने त्योहारों को मनाते हैं, कोई अब देवियों को पूछता है तो कोई देवताओं को पूछता है कोई दैविक शक्तियों में विश्वास रखता है तो कोई जानवरों में भी भगवान ढूंढ लेता है, कहने का तात्पर्य है कि इंसान की भक्ति का कोई भाव नहीं होता हो चाहे जिस रूप में भगवान को महसूस कर ले.


आज हम आपको एक ऐसी पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं जो शायद ही आपने सुनी हो, सभी धर्मों के त्योहारों में लोग नए नए कपड़े पहनते हैं पुरुष पुरुषों के और महिला महिलाओं के लेकिन अगर आपको पता चले कि एक ऐसा भी त्यौहार है जो कि सिर्फ पुरुष बनाते हैं लेकिन वह महिला बनकर इस त्यौहार में पूजा करते हैं तो आपको कैसा लगेगा? आजा माही पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं.

केरल के कोल्लम ज़िले के कोट्टमकुलकारा में देवी मंदिर में एक परंपरा है, जिसे चमायाविलक्कू उत्सव कहा जाता है। इस उत्सव के लिए पुरुष अपनी दाढ़ी-मूंछ मुंडवाकर महलिाओं की तरह पूरा साजो-श्रृंगार करते हैं। कहते हैं कि, ये उनकी प्रार्थनाओं का देवी मां से जवाब मांगने का तरीक़ा होता है।

पूजा करने से पहले पुरुष को सुंदर महिला का रूप धारण करना पड़ता है,इसके लिए ये पुरुष १६ शृंगार करते है, उसको हाथों में चूड़ियां-कंगन, नाक में नथनी, कान में कुंडल और पांव में पाजेब पहननी पड़ती है। इसके अलावा सोलह सिंगार करना पड़ता है। जैसे नाखूनों पर नेल पेंट, माथे पर बिंदी, आंखों में काजल और मेकअप आदि करना पड़ता है। उसके बाद ही एक सुंदर नारी बनकर पुरुष देवी की पूजा करते हैं।

इस रस्म को निभाते हुए पुरुष चमायाविलक्कू (पारंपरिक दीपक) हाथ में लेकर पीठासीन देवता के प्रति भक्ति में लीन होकर मंदिर के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और अपनी मोनकामना पूरी मांगते हैं। इस त्यौहार में ट्रांसजेंडर समुदाय का बड़ा जमावड़ा देखने को मिलता है क्योंकि ये वो जगह जहां उन्हें अपनी पहचान का जश्न मनाने का मौक़ा मिलता है। साथ ही कई तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है,ये किसी जश्न से काम नहीं होता ।

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