दोस्तों सलीम दुर्रानी के परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की है और कहा है कि लंबे वक्त से उम्र के कारण होने वाली मुश्किलों से जूझ रहे थे.समाचार एजेंसी एएनआई ने कहा है कि वो लंबे वक्त से बीमारी से जूझ रहे थे.क्रिकेट की दुनिया से जुड़े कई जाने-माने लोग सलीम दुर्रानी के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्हें एक महान खिलाड़ी कहा है.उन्होंने लिखा, विश्व में भारतीय क्रिकेट के उभार में उनका बड़ा योगदान रहा था. मैदान से बाहर और भीतर उन्हें अपने अलग अंदाज़ के कारण जाना जाता था. उनके निधन पर मैं दुखी हूं.

उन्होंने लिखा,गुजरात के साथ उनका पुराना और मज़बूत रिश्ता रहा है. उन्होंने कुछ साल गुजरात और सौराष्ट्र के लिए क्रिकेट खेला था.अपने ज़माने में भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर माने जाने वाले सलीम दुर्रानी के बारे में कहा जाता है कि वो दर्शकों की मांग पर छक्का लगा दिया करते थे.भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच और जानेमाने खिलाड़ी रवि शास्त्री ने उनकी एक पुरानी तस्वीर ट्वीट कर उन्हें याद किया है.वहीं क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने एक ट्वीट में लिखा कि समील दुर्रानी अर्जुन अवार्ड पाने वाले भारत के पहले क्रिकेटर थे.

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी सलीम दुर्रानी को श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने ट्वीट किया, “दिग्गज क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के निधन की ख़बर सुनकर दुख हुआ. काबुल में जन्मे सलीम दुर्रानी लोगों को खुश कर देते थे और लोगों के पसंदीदा थे.सलीम दुर्रानी के 80वें जन्मदिन पर साल 2014 में बीबीसी संवाददाता रेहान फ़ज़ल ने उनसे जुड़े कई दिलचस्प पहलुओं के बारे में बताया था.अपने ज़माने में सलीम दुर्रानी भारत के सबसे अच्छे ऑलराउंडर माने जाते थे. लेकिन दुर्रानी इसलिए मशहूर थे क्योंकि वो दर्शकों की मांग पर छक्का लगाया करते थे.

साल 1973 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान जब उन्हें एक टेस्ट में नहीं खिलाया गया तो पूरे शहर में पोस्टर लग गए- ‘नो दुर्रानी, नो टेस्ट’.सलीम दुर्रानी के क्रिकेट आंकड़ों पर नज़र दौड़ाई जाए तो वो बहुत मामूली लगते हैं… 29 टेस्ट, 1202 रन, एक शतक, 25.04 का औसत और 75 विकेट. लेकिन जिन लोगों ने उनके साथ क्रिकेट खेली है या उन्हें खेलते हुए देखा है, उनके लिए इन आंकड़ों से बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता.

वो निश्चित रूप से भारत के सबसे प्रतिभावान और स्टाइलिश खिलाड़ियों में से एक थे. लंबे छरहरे शरीर और नीली आँखों वाले सलीम दुर्रानी जहाँ भी जाते थे लोग उन्हें घेर लेते थे. उनके बारे में मशहूर था कि वो दर्शकों की फ़रमाइश पर छक्का लगाते थे और वो भी उस स्थान पर जहाँ से छक्का लगाने की मांग आ रही होती थी.सलीम दुर्रानी की दरियादिली के काफ़ी किस्से मशहूर हैं. सुनील गावस्कर अपनी आत्मकथा ‘सनी डेज़’ में लिखते हैं कि वर्ष 1971 के वेस्ट इंडीज़ दौरे से पहले उन्हें और सलीम दुर्रानी को श्रीलंका की टीम से मैच खेलने गुंटूर बुलाया गया.गावस्कर लिखते हैं, ”हम मद्रास तक हवाई जहाज़ से गए. लेकिन वापसी में गुंटूर से मद्रास का सफ़र ट्रेन से तय करना था. मेरे पास कोई बिस्तर नहीं था. सलीम ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर टीटी से कह कर अपने लिए एक कंबल और एक तकिए का इंतज़ाम कर लिया

गावस्कर आगे लिखते हैं,ठंड की वजह से जाड़े की रात में मुझे नींद नहीं आ रही थी. सलीम ने फ़ौरन ये कहते हुए अपना कंबल मुझे दे दिया कि अभी तो मैं लोगों से बातें कर रहा हूँ. तुम तब तक इसे ओढ़ो. अगले दिन सुबह जब मैं जागा तो देखा कि मैं तो कंबल से लिपटा हुआ हूं और सलीम एक बर्थ पर ख़ुद को गर्म रखने के लिए अपने घुटने मोड़े सिकुड़े हुए पड़े हैं. मुझे विश्वास नहीं हुआ कि एक माना हुआ टेस्ट क्रिकेटर किस तरह मुझ जैसे अनजान रणजी ट्रॉफ़ी खिलाड़ी के लिए अपना बिस्तर दे सकता है. उस दिन से मैं सलीम दुर्रानी को अंकल कहने लगा.

टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने के बाद मशहूर फ़िल्म निर्देशक बाबूराम इशारा ने सलीम दुर्रानी को अपनी फ़िल्म ‘चरित्र’ के लिए बतौर हीरो साइन किया.दुर्रानी की हीरोइन थीं मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री परवीन बाबी. यजुवेंद्र सिंह याद करते हैं, सलीम दुर्रानी बहुत मज़े के आदमी थे. देखने में तो अच्छे थे ही इसीलिए उन्हे अभिनय का मौका भी मिला चरित्र फ़िल्म में. जब वो फ़िल्म की शूटिंग के बाद हैदराबाद आए तो हमने सोचा सलीम भाई से ट्रीट ली जाए क्योंकि हमें पता था कि उन्हें एक्टिंग के लिए 18,000 रुपये मिले हैं.जब हमने ये फरमाइश उनके सामने रखी तो वो बोले- हमारे पास पैसा ही नहीं है. हमने कहा, हमें पता है आपको 18,000 रुपये मिले हैं. सलीम बोले वो पैसे तो हमने परवीन बाबी पर लुटा दिए. ऐसे ही थे वो… बिल्कुल बिंदास