जगह थी ब्रिटेन की राजधानी लंदन. हाउस ऑफ कॉमन्स यानी कि ब्रिटिश पार्लियामेंट के एक छोटे से कमरे में नामी-गिरामी लोग बैठे थे. ये शख्सियतें थीं ब्रिटेन में भारत डिप्टी हाई कमीश्नर नटवर सिंह, ब्रिटेन की नेता प्रतिपक्ष और कंजरवेटिव पार्टी की लीडर मार्गरेट थैचर, वही कद्दावर मार्गरेट थैचर जो अगले कुछ सालों में पीएम बनने वाली थीं. इसके अलावा एक और अहम किरदार इस मीटिंग में था जिसके इर्द-गिर्द ये कहानी घूमती है. ये महाशय थे युवा तांत्रिक और गॉडमैन चंद्रास्वामी.
अब एक तो ब्रिटेन जैसा आधुनिक देश. ऊपर से वहां की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स. ये कोई ऐसी जगह तो थी नहीं कि यहां कोई तंत्र क्रिया की जाए या फिर किसी के बारे में भविष्यवाणी की जाए. लेकिन उस रोज जो वहां जो ‘चमत्कार’ हुआ उसे देखकर दुनिया में ‘आयरन लेडी’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं मार्गरेट थैचर सचमुच मंत्रमुग्ध हो गईं.
अब एक तो ब्रिटेन जैसा आधुनिक देश. ऊपर से वहां की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स. ये कोई ऐसी जगह तो थी नहीं कि यहां कोई तंत्र क्रिया की जाए या फिर किसी के बारे में भविष्यवाणी की जाए. लेकिन उस रोज जो वहां जो ‘चमत्कार’ हुआ उसे देखकर दुनिया में ‘आयरन लेडी’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं मार्गरेट थैचर सचमुच मंत्रमुग्ध हो गईं.

अब एक तो ब्रिटेन जैसा आधुनिक देश. ऊपर से वहां की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स. ये कोई ऐसी जगह तो थी नहीं कि यहां कोई तंत्र क्रिया की जाए या फिर किसी के बारे में भविष्यवाणी की जाए. लेकिन उस रोज जो वहां जो ‘चमत्कार’ हुआ उसे देखकर दुनिया में ‘आयरन लेडी’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं मार्गरेट थैचर सचमुच मंत्रमुग्ध हो गईं.
धीरेंद्र शास्त्री के इन दावों पर बड़ा विवाद हुआ है. नागपुर की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने आरोप लगाया कि धीरेंद्र शास्त्री अंद्धविश्वास और जादू टोना को बढ़ावा दे रहे हैं. श्याम मानव ने दावा किया है कि अगर धीरेंद्र शास्त्री उनके सामने किसी तरह का चमत्कार करते हैं तो वे उन्हें 30 लाख रुपये का इनाम देंगे.
कुछ इसी तरह चमत्कार दिखाने का दावा चंद्रास्वामी करते थे. भारत के पूर्व कूटनीतिज्ञ और नौकरशाह नटवर सिंह ने अपनी किताब “वॉकिंग विद लॉयन्स- टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट” में उस घटना का जिक्र किया है जब चंद्रास्वामी के सामने कंजरवेटिव पार्टी की नेता मार्गरेट थैयर सम्मोहित जैसी बैठी थीं और चंद्रास्वामी एक के बाद एक उनके मन में उपजे सवालों को बताते जा रहे थे.
नटवर सिंह लिखते हैं कि वर्ष 1975 की बात है. मार्गरेट थैचर कंजरवेटिव पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष बन चुकी थीं. उस समय नटवर सिंह लंदनये भारत में आपातकाल से पहले की बात है. चंद्रास्वामी लंदन पहुंचे हुए थे. तब तक भारत में चंद्रास्वामी का रौला-रुतबा ठीक ठाक हो चुका था. लंदन में एक दिन चंद्रास्वामी नटवर सिंह से मिले और अजीब मांग कर डाली. चंद्रास्वामी ने कहा कि वे उनकी मुलाकात कंजरवेटिव पार्टी की नेता मार्गरेट थैचर से करा दें. नटवर सिंह को ये सुनकर बड़ा अजीब लगा. भारत का एक युवा संन्यासी और ब्रिटेन के नेता प्रतिपक्ष से मिलने की चाहत. वे कुछ समझ नहीं पाए. उन्हें लग रहा था कि चंद्रास्वामी मार्गरेट थैचर के सामने कुछ अजीब हरकत न कर दें. ये उनकी प्रतिष्ठा के साथ-साथ देश की इज्जत का भी सवाल था. में भारत के डिप्टी हाई कमीश्नर (उप उच्चायुक्त) थे.
नटवर सिंह ने इस बात की इजाजत अपने बॉस और तत्कालीन विदेश मंत्री वाईबी चव्हाण से लेनी जरूरी समझी. नटवर सिंह को लगा कि चव्हाण इसके लिए इजाजत नहीं देंगे और वे इस विकट स्थिति से निकल जाएंगे. लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में नटवर सिंह ने इस घटना को याद किया है. बकौल नटवर सिंह वाईबी चव्हाण ने कहा, “हां…हां मिला दीजिए. बड़ी सिद्धि है इनमें.”
आखिरकार नटवर सिंह को चंद्रास्वामी की पैरवी करनी पड़ी. नटवर सिंह मार्गरेट थैचर से मिलने पहुंचे. उन्होंने थैचर से कहा कि वे एक अजीब अपील लेकर आए हैं. भारत के एक युवा संन्यासी की आपमें बड़ी रूचि है क्या आप उनसे मिलना चाहेंगी?
अब इसे जो भी कहें. संयोग या समीकरण. मार्गरेट थैचर तैयार हो गईं. उन्होंने नटवर सिंह से कहा कि अगर आप समझते हैं कि मुझे उनसे मिलना चाहिए तो मैं उनसे मिल लूंगी? लेकिन सिर्फ 10 मिनट.
थैचर ने अगले हफ्ते मुलाकात का समय दे दिया. मुलाकात से पहले नटवर सिंह ने चंद्रास्वामी को चेता दिया कि वे वहां कुछ मूर्खतापूर्ण काम न करें. इस पर चंद्रास्वामी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा था कि वे इस बारे में एकदम चिंता न करें. यहां दीगर है कि चंद्रास्वामी अंग्रेजी पढ़-बोल नहीं सकते थे. इसलिए इस मुलाकात के दौरान नटवर सिंह चंद्रास्वामी का दुभाषिये का रोल निभा रहे थे.